श्रीझाडखण्डनाथ तीर्थ स्थली मंदिर में प्रवेश का मुख्य द्वार (राजागोपुरम्) :-

यह द्वार मुख्य मंदिर सीमा परिसर के द्वार से दक्षिण दिशा में आता हुआ पश्चिम दिशा में मुड़ता है  यह मंदिर के परिसर के मुख्या द्वार जो पूर्व की दिशा वाली दिवार में बना हुआ है इस द्वार को द्रविड़ शैली में बनने के कारन राजगोपुरम कहा जाता है

मंदिर के अन्य द्वारों का विवरण :-

दूसरा द्वारः-
 
यह पूर्व दिषा की दीवार में है जो हवन/यज्ञ स्थान से होता हुआ गोविन्द बाबा के परिसर में खुलता हैं।

तीसरा द्वारः-

यह छोटा द्वार है यह भी उत्तर दिशा वाली दीवार में बना है तथा यह द्वार रोड पर है। यह द्वार बाबा श्री गोविन्दनाथ जी कि समाधि परिसर में बनी नन्दकुटीर के विपरीत दिशा के कोने मे बनी रतनकुटिर कि तरफ उत्तर दिशा  वाली दिवार में है जो कबूतर खाने व बाबा गोविन्दनाथजी की समाधि के बीच से होता हुआ मण्डपम् में आता है और महादेव के दर्शन  के लिए लेजाता है।

चौथा गेटः-

सीढीयों के साथ हो पश्चिम दीवार पर गेट लगा है जो भावी योजनुसार ऋषि आश्रम में जाता है।

पांचवा द्वारः-

 यह द्वार दक्षिण दीवार में बना है जो वर्तमान में पीछे खुलता है।

भैरोंनाथ का मंदिरः-

यह स्थान मंदिर परिसर प्रवेश  द्वारा के पश्चिम दिश  में  व श्रीझाडखण्डनाथ महादेव मंदिर के आंतरिक भाग में नन्दकुटिर के पास बने हवन कुण्ड के स्थान के पास बाहर पूर्व दिशा  पर बने गेट के पास श्री भैरोंनाथजी का मंदिर है यहां लोग श्रध्दा से शिव दर्शन के  बाद पूजा अर्चना करते है।

कमरेः-

यह स्थान मुख्य मंदिर परिसर प्रवेश  द्वार कि उत्तर दिवार मे पश्चिम दिशा  की और बना हुआ है इसमें कुल 3 छोटे व एक बडा कमरा बना है ।

यज्ञ स्थल :-

उत्तर दिशा  में बाबा गोविन्द्नाथजी कि समाधि के पास व श्रीभौंरोनाथ मंदिर के पश्चिम दिशा  में गेट के पास यज्ञ स्थान है । यह पूर्व दिशा वाले गेट में है जो बाहर खुलता है। यह स्थान श्रध्दालूओं के यज्ञ करने के काम आता है।इस स्थान पर केवलू शेड बनाकर हवन कुण्ड बनाया गया है।